Sunday 29 December 2019

Class 10 NCERT Hindi Book कृतिका भाग 2, chapter -1 solution

NCERT Class 10 Hindi solved questions 

विषय - हिंदी
पुष्तक का नाम - कृतिका भाग 2
अध्याय - 1 : माँ का आँचल
बोर्ड - CBSE
कक्षा - 10
Class 10 NCERT Hindi Book कृतिका भाग 2, chapter -1 solution


प्रश्न अभ्यास 

1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है की बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समत पिता न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है ?

उत्तर:

माता से बच्चे का रिश्ता ममता पर आधारित होताहै जबकि पिता से स्नेहाधारितहोता है। बच्चे को विपदा के समय अत्याधिक ममता और स्नेह की आवश्यकता थी।भोलानाथ काअपने पिता से अपार स्नेह था पर जब उस पर विपदा आई तोउसे जो शांति व प्रेम की छाया अपनी माँ की गोद में जाकर मिली वह शायद उसे पिता से प्राप्त नहीं हो पाती। माँ क आँचल में बच्चा स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है।

2. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?

उत्तर:

क्षण में रोना क्षण में हंसना बच्चों का स्वभाव होता है। भोलानाथ भी बच्चे की स्वाभाविक आदत के अनुसार अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलने में रुचि लेता है। उसे अपनी मित्र मंडली के साथ तरह-तरह की क्रीड़ा करना अच्छा लगता है। वे उसके हर खेल व हुदगड़ के साथ हैं। अपने मित्रों को मजा करते देख वह स्वयं को रोक नहीं पाता इसलिए रोना भूलकर वह दुबारा अपनी मित्र मंडली में खेल का मजा उठाने लगता है। उसी मग्रावस्था में वह सिसकना भी भूल जाता है।

3. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?

उतर:

भोलानाथ और उसके साथी खेल के लिए आँगन व खेतों में पड़ी चीज़ों को ही अपने खेल का साधन बनाते हैं। उनके लिए मिट्टी के बर्तन, पत्थर, पेड़ों के फलों, गीली मिट्टी, घर के छोटे-मोटे सामान आदि वस्तुएँ होती थी जिनसे वह खेलकर खुश रहते थे। परन्तु आज के बालक जो खेल खेलते हैं वे इनसे पूर्णत: भिन्न हैं। हमारे खेलने केलिए क्रिकेट का सामान, किचेन सेट, डॉक्टर सेट, तरह-तरह के विडिओ गेम, व कंप्यूटर गेम आदि बहुत सी चीजें हैं जो इनकी तुलना में एकदम अलग है। भोलानाथ जैसे बच्चों की खेलने की सामग्री आसानी से व सुलभता से बनी मूल्य खर्च किये ही प्राप्त हो जाती हैं जबकि आज के बच्चों की खेल सामग्री बाज़ार से खरीदना पड़ता है।

4. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों

उत्तर:

1.भोलानाथ जब अपने पिता कीगोद में बैठा हुआ आईने में अपने प्रतिबिम्ब को देखकर खुश होता रहता है। वहीं पिता द्वारा रामायण पाठ छोड़कर देखने पर लजाकर व मुस्कुराकर आईना रख देना। यहाँ बच्चों का अपने अक्ष के प्रति जिज्ञासा भाव बड़ा ही मनोहर लगता है और उसका शर्माकर आईना रखना बहुत ही सुन्दर वर्णन है।
2. बच्चों द्वाराबारात का स्वांग रचते हुए दुल्हन को लिवा लाना व पिता द्वारा दुल्हन का घुघंट उठाने पर सब बच्चों का भाग जाना, बच्चों के खेल में समाज के प्रति उनका रुझान झलकना है तो दूसरी और उनकी नाटकीयता, स्वांग उनका बचपन।
3. बच्चे का अपने पिता के साथ कुश्ती लड़ना। शिथिल होकर बच्चे के बल को बढ़ावा देना और पछाड़ खा कर गिर जाना। बच्चे का अपने पिता की मूंछ खींचना और पिता का इसमें प्रसन्न होना बड़ा ही आनन्दमयी प्रसंग है।

5. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्राम्य में संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं।

उत्तर:

तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति में किसी प्रकार के दिखावे अभाव था। लोग बहुत ही सीधे-सादे हुआ करते थे। लोग परस्पर मिल-जुल कर रहा करते थे। किसी भी पर्व-त्यौहार को पूरे उत्साह के साथ मनाते थे। गाँव में बचपन से खेल-खेल में ही वैसी सभी बातों को सिखाया जाता है जिससे बच्चे बड़े होकर अपने कार्य-क्षेत्र में प्रवीण हो सकें और व्यवहारिक भी बन सके।

आज की ग्रामीण संस्कृति में काफी बदलाव आए हैं। अब गाँव में दूषित राजनीति के पाँव पसारने के कारण लोगों के अन्दर जाति धर्म संप्रदाय और अमीर-गरीब जैसे भेद पनप रहे हैं। आज के गाँव में लगभग सारी शहरी सुविधाएँ लोगों को प्राप्त हो रही हैं। बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल, सड़क और खेती के वैज्ञानिक संसाधन उपलब्ध हैं।

6. यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जोवात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:

भोलानाथ के पिता अपने पुत्र के प्रति बहुत स्नेह रखते थे। सुबह से लेकर शाम तक इतना भी समय मिलता था वे अपने भोलानाथ के साथ बिताते थे। भोलानाथ को सुबह जागना, नहलाना, अपने साथ पूजा के लिए बिठाना, अपने साथ मछलियों को चारा खिलने ले जाना और उसके खेलों में शामिल होना उनके गहरे लगाव को बताता है।

भोलानाथ की माता वात्सल्य व ममत्व से भरपूर माता है। भोलानाथ को भोजन कराने के लिए उनका भिन्न-भिन्न तरह से स्वांग रचना एक स्नेही माता की ओर संकेत करता है। जो अपने पुत्र के भोजन को लेकर चिन्तित है। दूसरी ओर उसको लहूलुहान व भय से काँपते देखकर माँ भी स्वयं रोने व चिल्लाने लगती है। अपने पुत्र की ऐसी दशा देखकर माँ का ह्रदय भी दुखी हो जाता है। माँ का ममतालु मन इतना भावुक है कि वह बच्चे को डर के मारे काँपता देखकर रोने लगती है। उसकी ममता पाठक को बहुत प्रभावित करतीहै।

7. माता का आँचल शीर्षक की उपयुक्तता  बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।

उत्तर:

लेखक ने इस कहानी का नाममाँ का आँचल उपयुक्तरखा है। इस कहानी में माँ के आँचल की शर्थाकता कोसमझाने का प्रयास किया गया है।भोलानाथ को माता व पिता दोनों से बहुत प्रेम मिला है। उसका दिन पिता की छत्रछाया में से शुरू होता है। पिता उसकी हर क्रीड़ा में सदैव साथ रहते थे, विपदा होए पर उसकी रक्षा करते थे। परन्तु जब वह साँप को देखकर डर जाता है तो वह पिता की छत्रछाया के स्थान पर माता की गोद में छिपकर ही प्रेम व शांति का अनुभव करता है। माता उसके भय से भयभीत है, उसके दुःख से दुखी है, उसके आँसू से खिन्न है। वह अपने पुत्र की पीड़ा को देखकर अपनी सुधबुध खो देती है। वह बस इसी प्रयास में है कि वह अपने की पीड़ा को समाप्त कर सके। माँ का यही प्रयास उसके बच्चे को आत्मीय सुख व प्रेम का अनुभव कराता है।
इसके लिए एक उपयुक्त शीर्षक और हो सकता था माँ की ममता क्योंकि कहानी में माँ का स्नेह की प्रधान है।

8. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?

उत्तर:

बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति कई तरह से करते है -
1. माता-पिता की गोद में बैठकर या पीठ पर सवार होकर।
2. माता-पिता के साथ विभिन्न प्रकार की बातें करके अपना प्यार व्यक्त करते हैं।
3. वे अपने माता-पिता से रो-धोकर या ज़िद करके कुछ माँगते हैं फिर बाद में अपना प्रेम अलग अलग तरीके से प्रकाशित करते हैं।
4. माता-पिता को कहानी सुनाने या कहीं घुमाने ले जाने की या अपने साथ खेलने को कहकर।
5. मात-पिता को अपने दोस्तों के बारे में बताकर या किसी रिश्तेदार के बारे में पूछकर।

9.इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

उत्तर:

यह कहानी उस समय की कहानी प्रस्तुत करती है जब बच्चों के पास खेलने के लिए अत्याधिक साधन नहीं होते थे। वे लोग अपने खेलप्रकृति से ही प्राप्त करते थे और उसी प्रकृति के साथ खेलते थे। उनके लिए मिट्टी, खेत, पानी, पेड़, मिट्टी के बर्तन आदि साधन थे।
परन्तु आज के बच्चों की दुनिया इन बच्चों से भिन्न है। आज के बच्चे टी-वी, कम्पुटर आदि में ही अपना समय व्यतीत करते हैं या फिर क्रिकेट, बेडमिन्टन, चाकलेट, पिज़ा आदि में ही अपना बचपन बिता देते हैं।

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